🎵 पायो जी मैंने राम रतन धन पायो 🎵
लेखक: मीरा बाई | 🖋️: Salikram Chapekar
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भक्तवती मीरा बाई |
🖋️भजन शैली परिचय
लेख श्रेणी: भक्ति गीतभाषा: हिंदी
संबंधित देवता: भगवान कृष्ण
भजन का संक्षिप्त परिचय
“पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ” भक्ति साहित्य का एक अमर रत्न है। यह भजन संत मीराबाई की भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित भक्ति, गहन श्रद्धा और आध्यात्मिक अनुभवों को दर्शाता है। इसमें सांसारिक मोह-माया को त्यागकर ईश्वर की प्राप्ति को ही सबसे बड़ा धन बताया गया है।
मीराबाई की भक्ति और भजन का भाव
कुछ भजन ऐसे होते हैं जो केवल गाए नहीं जाते, बल्कि आत्मा से महसूस किए जाते हैं। “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो” ऐसा ही भजन है जो आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। इसकी रचना में भक्ति की सरलता, शब्दों की मधुरता और अर्थ की गहराई सब कुछ समाहित है।
मीराबाई: एक संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम: मीराबाई, जन्म: लगभग 1498 ई., मेड़ता (राजस्थान), जाति: राठौर राजपूत, विवाह: मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से प्रमुख पहचान: भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त, संत-कवयित्री
🕉️भजन लिरिक्स 🕉️
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु,
किरपा कर अपनायो।टेक।।
अंतरा 1
जन्म-जन्म की पूंजी पाई,
जग में सभी खोवायो
अंतरा 2
खरच नाहि खूटे चोर नाहि लूटै,
दिन-दिन बढ़त सवायो।
अंतरा 3
सत की नाव खेवटिया सतगुरु,
भवसागर तर आयो।
अंतरा 4
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
हरख-हरख जस गायो।
🌼भावार्थ:
1. पायो जी मैंने राम रतन धन पायो...
मीराबाई को श्रीराम/कृष्ण रूपी रत्न रूपी धन प्राप्त हुआ है, जो उनके सतगुरु की कृपा से संभव हुआ। यह आध्यात्मिक धन अमूल्य और अक्षय है।2. जन्म-जन्म की पूंजी पाई...
कई जन्मों की संचित पूंजी के रूप में ईश्वर का नाम मिला है। सांसारिक वस्तुएं अब उन्हें तुच्छ प्रतीत होती हैं।3. खरच नाहि खूटे...
यह भक्ति का धन जितना बाँटा जाए उतना ही बढ़ता है, न चोर इसे चुरा सकता है न यह घटता है।4. सत की नाव खेवटिया सतगुरु...
सच्चे गुरु ने जीवन को धर्म रूपी नाव पर चढ़ाकर संसार के दुखद सागर से पार उतारा।
5. मीरा के प्रभु गिरधर नागर...
मीराबाई गर्व से अपने इष्टदेव श्रीकृष्ण को याद करती हैं और प्रसन्न होकर उनका गुणगान करती हैं।
📿 निष्कर्ष:
- सच्चा धन: ईश्वर की भक्ति ही सबसे बड़ा धन है।
- गुरु का महत्व: ईश्वर तक पहुँचने के लिए गुरु की कृपा आवश्यक है।
- सांसारिक त्याग: मोह-माया त्याग कर आत्मिक सुख पाया जा सकता है।
- भक्ति की शक्ति: भक्ति कभी नष्ट नहीं होती, यह बाँटने से और बढ़ती है। मीरा बाई के अन्य प्रसिद्ध भजन
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